Book Review: H R Diaries by Harmindar Singh

by - January 18, 2017

Since this is a Hindi book, I decided to review it in Hindi! Happy Reading!



एच आर डायरीज : ये उपन्यासकार हरमिंदर सिंह जी का पहला उपान्यास है। पूरा स्टोरी लेखक की अपनी जुबां पे है । लेखक ही नायक है। उपन्यास में लेखक को कहना है की मानव संसाधन विभाग में काम करते हुए आखिर उन्होंने ये पाया के नौकरी करना कोई बच्चों का खेल नहीं । नौकरी पेशा लोगों के लिए घंटों की अहमियत है। वो दौड़ भाग में जुटे हुए है। वो चाहे हंसे, रोये या घबराये, लेकिन रुक नहीं सकते । जैसे की एक जगह में बंधे हुए एक मशीन है।

ऑफिस जोइनिंग के पहले दिन से लेकर एक महिला कलीग की मौत और दुसरे कलीग की निराशा तक २२ अध्याय में रचित है ये उपन्यास । लेखक थोड़े शांत सस्वभाव  के है। पर मन सर्वदा चंचल रहता है। जीवन के नियम अनुसार युवा वयस में ऑफिस ज्वाइन करते है। काम करते वक़्त उन्होंने देखा के बिलकुल अंजान लोग कैसे धीरे धीरे अपना बन जाते है। सुख, दुःख,हँसी , मज़ाक सब कुछ उन लोगों के साथ शेयर हो जाता है।  कभी कभी कुछ कलीग के साथ व्यक्तिगत भाव भी आदान प्रदान हो जाते हैं। पर लेखक का मन सदा चंचल रहता था।  "पैसे कमाने के लिए इन घंटों की अहमियत क्यों? मामूली सा एक प्राणी छुछुंदर का बेमक़्क़ा मौत भी मन को व्यतीत करता है।" ये कैसी ज़िन्दगी?

ज़िन्दगी में जुड़ना बिछड़ना ही क्या सब कुछ है? क्या इसका कोई अंत नहीं? सुबह से लेकर शाम तक की आपाधापी और सूरज को उगते और डूबते देखने के फर्क से महरूम होना कोई ज़िन्दगी है? यह समझना शायद सब की बस की बात नहीं। ऑफिस का काम और मन की चंचलता से झुझते हुए एक दशक हो गया। उन्होंने सोचा बस बहुत हो गया। पैसा कमाने के लिए अपने मन को निरंतर दुखी करने में कोई बहादुरी नहीं है। आखिर क्या लेखक नौकरी को अलविदा कहते हैं या उसी घिसी पिटी जिंदगी में बंधे रह जाते हैं? जानने के लिए ये उपन्यास पढ़ें।

डायरीज मतलब दिन पंजी। ये उपन्यास सही मायने में लेखक की दिन पंजी है। मानव संसाधन विभाग में दशक भर बिताये हुए दिनों को सहज सरल भाषा में छोटे छोटे सेंटेंस में प्रकट किया है। काफी हलके स्वाभाव में अपने भावों को प्रकट किया है जो की किसिस भी गंभीर व्यक्ति को हंस दे। पर कुछ कुछ वर्णन ऐसे भी हैं जो पढ़ने में बोर लगता है। ये उनका पहला उपन्यास है। इतना तो नज़र अंदाज़ किया जा सकता है। धन्यवाद हरमिंदर सिंह जी एक हल्का गंभीर उपन्यास पाठकों को उपहार देने के लिए।


ज़िन्दगी में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं जब हम बहुत परेशान हो जाते हैं अपने आस पास के वातावरण से। कुछ लोग प्रदूषित करते हैं तो कुछ उनके विचार।  इन चीज़ों से लड़कर बाहर निकल पाना ही ज़िन्दगी की जीत है। पैसों के लिए भागने में कोई बहादुरी नहीं है।  मन की शांति ही जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि हैं।

This review is a part of the biggest Book Review Program for Indian Bloggers. Participate now to get free books!

You May Also Like

0 comments